Saturday, March 3, 2018

शांत रातें 2

शांत रातों की कड़ी में स्वलिखित एक और रचना:-

वो उसके सामने खड़ी हुई थी। हमेशा की तरह वही जादुई एहसास बिखेरते हुए। वही मंत्र मुग्ध करने वाली उसकी मुस्कान। आखिर कैसे कोई भी उसकी इस मासूमियत भरी मुस्कुराहट पर अपना दिल नही हार सकता। वो उसको गले से लगा लेना चाहता था पर कुछ सोचते हुए उसने अपना हाथ उससे हाथ मिलाने के लिए बढ़ा दिया।

वो बस एक बार और उसके चेहरे को देख लेना चाहता था। बस एक बार और उसके चेहरे की मुस्कुराहट को अपने में समेट लेना चाहता था। सामने खड़ी हुई उस लड़की की आंखों की चमक जैसे उस लड़के ज़ेहन और अन्तरात्मा में कोई विद्युतीय संचार कर देती हो। बस इसी शक्ति को जैसे वो हमेशा के लिए अपने अंदर भर लेना चाहता था। उनके साथ बिताए हर लम्हो की शक्ति, उसकी यादों की शक्ति... वो यादें जिन्हें शायद वो अकेलेपन में सोच कर मुस्कुराया करेगा...जो शायद कभी कभी उसकी आँखों से आँसू बनकर निकलें... खुशियों के आँसू..।

वो उसको एक बार फिर से देख कर खुश था। "लोग कहते हैं कि प्रेम बहुत दर्द देता है, जब वो एकतरफा होता है। पर सच तो यह भी है कि हमारे दर्द और कठिनाईयां ही हमें बेहतर बनाते हैं। मुझे पता है कि अपने दिल की गहराइयों में कहीं न कहीं, तुम जानती हो मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ। पर तुमने अपना साथी चुन लिया है। और आज मैंने जान लिया है
कि प्यार क्या होता है और तुम्हारी कितनी अहमियत है मेरी ज़िंदगी में। तुम्हारे प्यार में पड़कर ही मैंने जिंदगी और मानवता की गहराइयों को जाना है। मैं हमेशा ही दुआ करूँगा की ईश्वर चाहे तो तुम्हारे भाग्य में लिखे सारे गम मुझे देदे, पर इस मासूम चेहरे को हमेशा यूँ ही मुस्कुराता हुआ रखे..."। वो ये सारी बातें उससे कह देना चाहता था।

एकाएक, उसे एहसास हुआ कि दोनो के बीच शांति काफी लंबी हो गयी है।" अहम... आखिरकार तुम्हारे जन्मदिन की पार्टी मैंने तुमसे ले ही ली। इस शानदार रेस्टोरेंट में डिनर के लिए तुम्हारा शुक्रिया। तुम्हारा घर तो यहां पास में ही है, पर मुझे अब निकलना चाहिए।" वो बोला।

आसमान में सितारे चमक रहे थे। ठंडी हवा बह रही थी। वो रेस्टोरेंट के लॉन में खड़ी हुई थी। वो उसको जाता हुआ देख कर सोच रही थी "क्या कोई सच में किसी से इतना प्यार कर सकता है.. क्यों हमेशा मुझे देख कर उसकी आँखों में एक चमक आ जाती है.. क्यों आज उससे हाथ मिलाने पर जैसे मेरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ गयी.. क्यो आज उसके चेहरे पर खुशी थी पर मुझे उसकी आँखों में आँसूओं का एहसास हो रहा था... क्यों आज मैं खुश नही हूँ।  क्या मुझे उससे प्यार हो रहा है..."

वो उस लड़के को जाता हुआ देख रही है। आसमान में सितारे कभी कभी तेज कभी निष्तेजित होते हुए चमक रहें हैं। ठंडी हवा अभी भी बह रही है। रात्रि शांत है...।

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (06-03-2017) को "5 मार्च-मेरे पौत्र का जन्मदिवस" (चर्चा अंक-2901) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. अच्छी कहानी ... भावनाओं का समुन्दर समेटे ...

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